छात्र जीवन की शुरुआत और शक्ति का परिचय।
आत्म-निवेदन
शक्ति तो आखिर शक्ति ही है। उसका सदुपयोग हो जाए, विधेयात्मक कार्यों में लग जाए, उसका सकारात्मक नियोजन हो जाए तो निर्माण के क्षेत्र में चमत्कार दिखाई देने लगता है और यदि उसी शक्ति का दुरुपयोग हो जाए, वह निषेधात्मक कार्यों में लग जाए, उसका नकारात्मक नियोजन हो जाए, तो विध्वंस के क्षेत्र में हा-हाकार मचा सकती है। युवावस्था जीवन का वसंत काल है, ऊर्जा, शक्ति, उत्साह और उमंग से भरपूर जीवन, बचपन और वयस्कावस्था की संधि वेला। इस संधि काल में साधना करना ऋषियों ने अनिवार्य माना है। युवावस्था में यदि जीवन निर्माण का सही मार्गदर्शन मिल जाए तो जीवन के उपवन में अनेकानेक उपलब्धियों के पुष्प खिलते चले जाते हैं। इस अवस्था को भविष्य निर्माण की आधारशिला कहा जा सकता है। उपयुक्त दिशा निर्देशों के अभाव में, उपयुक्त मार्गदर्शन के अभाव में एवं उपयुक्त साथियों के अभाव में जीवन अनगढ़ बनता चला जाता है। भविष्य में जब युवावस्था की भूलों के परिणामस्वरूप जीवन श्रेष्ठ नहीं बन पाता तो भूलों का अहसास होता है, लेकिन तब तक गाड़ी छूट चुकी होती है। वयस्क होने तक बन चुकी आदतें पक चुकी होती हैं। अब उनमें कोई परिवर्तन करना अत्यंत कठिन होता है। जीवन के इस संधि काल को एक महत्त्वपूर्ण संस्कार-महोत्सव के रूप में मनाना चाहिए। इस काल में उचित और श्रेष्ठ मार्गदर्शन का मिलना किसी के लिए भी सौभाग्य की बात हो सकती है। इसी उद्देश्य से इस पुस्तक का प्रकाशन आवश्यक समझा गया। व्यक्तित्व निर्माण के क्षेत्र में ऋषियों की शोधों के आधार पर उनकी प्रभावशाली कठोर साधना से उत्पन्न कल्याणकारी चिंतन को इस पुस्तक में सँजोया गया है। छात्र वर्ग एवं युवा वर्ग के लिए यह ग्रंथ उनके श्रेष्ठ व्यक्तित्व के निर्माण में संजीवनी का कार्य करेगा, उन्हें गलत मार्ग पर भटकने से रोकेगा। युवा वर्ग को इस ग्रंथ का स्वाध्याय सतत करते रहना चाहिए, ताकि उनका चिंतन उत्कृष्ट बना रहे। जैसा चिंतन होगा, वैसे कर्म होते चलेंगे और वैसा ही जीवन बनता चला जाएगा।
इस ब्लॉग के प्रकाशन में हमारी यही भावना और कामना है कि इस ग्रंथ के स्वाध्याय से श्रेष्ठ युवाओं का निर्माण होगा। वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ, युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी की तपश्चर्या एवं उच्चस्तरीय साधनाओं की शक्ति से निःसृत चिंतन से युवा वर्ग लाभान्वित होगा ही, साथ ही उनके आशीर्वाद से युवाओं का जीवन श्रेष्ठ मार्ग पर चल पड़ेगा। युवा संगठनों को यह पुस्तक सभी छात्रों एवं युवाओं तक पहुँचाकर उन्हें स्वाध्याय हेतु प्रेरित करना चाहिए।
छात्रों एवं युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ.........
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