Sprituality ( अध्यात्म ) - जीवन का अंतिम सत्य एवं लक्ष्य |
अध्यात्म का अर्थ - कुछ ऐसा तैयार करना जिसे मृत्यु न छीन सके
सद्गुरु साधारण शब्दों में अध्यात्म का अर्थ समझाते हुए बता रहे हैं, कि ये प्रक्रिया जन्म और मृत्यु के बारे में नहीं है, ये कुछ ऐसा तैयार करने के बारे में है जिसे मृत्यु न छीन सके।
शिव के लिए मृत्यु एक मामूली बात है
जब हम कहते हैं कि शिव संहारक हैं, तो इसका मतलब यह नहीं होता कि शिव मृत्यु की वजह हैं, या वे मृत्यु लाते हैं। उनकी मृत्यु में कोई दिलचस्पी नहीं है। उनके लिए मृत्यु एक बेहद मामूली बात है, जीवन का एक बेहद सतही पहलू। यह दिखाने के लिए कि वह मृत्यु की कितनी उपेक्षा(तिरस्कार) करते हैं, वह अपने शरीर पर चिता की भस्म लगाते हैं। तो आध्यात्मिक साधना मृत्यु से बचने के लिए नहीं होती, बल्कि मृत्यु की जो वजह है, यानी जन्म से मुक्ति के लिए है।
ये ड्रामा मामूली बन जाता है
यह जन्म और मृत्यु बस कुम्हार के बिज़नेस की तरह हैं - मिट्टी के एक ढेले को लेकर उसे मानव आकार देना और उसे चलता-फिरता व बोलता हुआ बनाना। यह कुम्हार का धंधा, जो कुछ देर बाद कठपुतली के तमाशे का रूप ले लेता है, दरअसल एक साधारण सी ट्रिक है। एक दर्शक के नाते उस तमाशे को देखना एक बात है, लेकिन उसी तमाशे को पर्दे के पीछे से जानना व समझना बिलकुल अलग चीज है। एक बार अगर आप तमाशे को पर्दे के पीछे से देखना शुरू कर देते हैं, तो कुछ समय बाद आपके लिए यह बेहद मामूली चीज बन जाता है। अब आपको इसकी कहानी व ड्रामा रोमांचित नहीं करते, क्योंकि अब आप जान चुके होते हैं कि इसमें सारी चीजों को कैसे संचालित किया गया है। केवल वही लोग जिनकी याद्दाश्त छोटी होती है, रोज आकर एक ही नाटक देखेंगे और मजे लेंगे। दरअसल, ऐसे लोग पिछले दिन की अपनी याददाश्त खो चुके होते हैं, उनके लिए रोज का नाटक काफी रोमांचक और चुनौतीपूर्ण होता है।
अध्यात्म का सम्बन्ध जन्म और मृत्यु से नहीं आपसे है
आध्यात्मिक प्रक्रिया जीवन और मृत्यु के बारे में नहीं होती। शरीर का जन्म व मृत्यु होती है, जबकि आध्यात्मिक प्रक्रिया आपके बारे में होती है, जो कि न तो जीवन है और न ही मृत्यु। अगर इसे आसान शब्दों में कहा जाए तो इस पूरी आध्यात्मिकता का मकसद उस चीज को हासिल करने की कोशिश है, जिसे यह धरती आपसे वापस नहीं ले सकती। आपका यह शरीर इस धरती से लिया गया कर्ज है, जिसे यह धरती पूरा का पूरा आपसे वापस ले लेगी। लेकिन जब तक आपके पास यह शरीर है, तब आप इससे ऐसी चीज बना सकते हैं या हासिल कर सकते हैं, जो धरती आपसे वापस न ले पाए। चाहे आप प्राणायाम करें या ध्यान, आपकी ये सारी कोशिशें आपकी जीवन ऊर्जा को एक तरह से रूपांतरित करने का तरीका हैं, ताकि ये मांस बनाने के बजाय कुछ ऐसे सूक्ष्म तत्व का निर्माण कर सके, जो मांस की अपेक्षा ज्यादा टिकाऊ हो। अगर आप इस सूक्ष्म तत्व को पाने की कोशिश नहीं करेंगे तो जीवन के अंत में जब आपसे कर्ज वसूली करने वाले आएंगे तो वे आपसे सब चीज ले लेंगे और आपके पास कुछ नहीं बचेगा। उसके बाद की आपकी यात्रा का हिस्सा अच्छा नहीं होगा।
गुफाओं में जाकर धरती से सम्बन्ध बनाने का महत्व
इस शरीर को अपने बारे में बहुत गुमान होता है, लेकिन आप इस धरती का महज एक छोटा सा हिस्सा हैं। इसलिए हम लोग शरीर को ज्यादा से ज्यादा धरती के संपर्क में रखने की कोशिश करते हैं, जिससे उसको लगातार इस बात का अहसास होता रहे कि वह इसी धरती का एक छोटा सा हिस्सा है। यही वजह है कि आध्यात्मिक लोग हमेशा नंगे पैर रहते हैं और खाली जमीन पर बैठना पसंद करते हैं। जमीन पर पालथी मारकर बैठने से शरीर को कहीं न कहीं इस बात का अनुभव होता है। जिस क्षण यह धरती के संपर्क में आता है, इसे तुरंत अहसास हो जाता है कि यह भी धरती ही है। यही वजह है कि ज्यादातर आध्यात्मिक लोग पहाड़ों में जाना व रहना पसंद करते हैं, क्योंकि पहाड़ों में याद दिलाने का यह काम ज्यादा बड़े पैमाने पर होता है। पहाड़ वो जगह है, जहां धरती आपसे मिलने के लिए ऊपर उठी हुई है। अगर आप आप पहाड़ों में बनी गुफा में चले जाएं तो आपको अपने चारों तरफ धरती का अहसास होगा। यह अपने आप में याद दिलाने का एक जबरदस्त तरीका है। इसलिए पहाड़ों में रहना चुनौतीपूर्ण होते हुए भी योगी अक्सर अपने रहने के लिए पहाड़ों को चुनते हैं। वहां शरीर को लगातार याद दिलाया जाता रहता है, मन या बुद्धि को नहीं, कि वह नश्वर है।
हाथों और पैरों से मिट्टी को छूना मदद करता है
जब आप लगातार इस बात को महसूस करते हैं कि आप नश्वर हैं, तो आपके शरीर को भी हर वक्त इस बात अहसास रहता है कि वह यहां स्थायी नहीं है। तब आपकी आध्यात्मिकता स्थिर हो जाती है। आश्रम में मैं एक बात हमेशा लोगों से कहता हूं कि आप चाहें जो भी काम कर रहे हों, लेकिन दिन में कम से कम एक घंटा आप अपने हाथों से जमीन में कुछ काम जरूर करें। भले ही आप बगीचे में कुछ करें, नहीं तो कुछ देर नंगे पैर चलें। यह आपमें एक तरह से शारीरिक याद्दाश्त भरेगा कि आप नश्वर हैं। अपने आध्यात्मिक मार्ग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए शरीर में इस बात का लगातार अहसास होना बेहद जरूरी है। यह जितनी जल्दी होगा, आपके भीतर आध्यात्मिकता का भाव उतना ही मजबूत होगा।
हो सकता है कि आपने आध्यात्मिकता के बारे में सुना हो, लेकिन आपको नहीं पता कि यह क्या है। खैर, यह धर्म से अलग है, और अगर आप धार्मिक नहीं हैं, तो भी आप इसका अभ्यास कर सकते हैं। आध्यात्मिकता के विभिन्न प्रकारों और कुछ लोगों द्वारा आध्यात्मिक जीवन जीने के कारणों के बारे में अधिक जानें।
इससे मदद मिल सकती है यदि:
आप सोच रहे होंगे कि आध्यात्मिक का क्या अर्थ है?
आप आध्यात्मिकता के विभिन्न प्रकारों के बारे में उत्सुक हैं।
आप अध्यात्म और धर्म के बीच अंतर समझना चाहते हैं
आप धार्मिक हुए बिना आध्यात्मिक मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं।
आध्यात्मिकता का क्या अर्थ है?
आध्यात्मिकता एक ऐसी चीज़ है जिसके बारे में बहुत बात की जाती है लेकिन अक्सर इसे गलत समझा जाता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि आध्यात्मिकता और धर्म एक ही चीज़ हैं, और इसलिए वे आध्यात्मिकता के बारे में चर्चाओं में धर्म के बारे में अपनी मान्यताओं और पूर्वाग्रहों को शामिल करते हैं। हालाँकि सभी धर्म आध्यात्मिकता को आस्था का हिस्सा मानते हैं, लेकिन आप धार्मिक या किसी संगठित धर्म के सदस्य हुए बिना भी 'आध्यात्मिक' हो सकते हैं।
अध्यात्म और आध्यात्मिक प्रथाओं के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
आध्यात्मिकता में अक्सर अर्थ, उद्देश्य और ब्रह्मांड, अन्य लोगों या उच्च शक्ति के साथ परस्पर जुड़ाव की भावना की तलाश शामिल होती है। आध्यात्मिकता को विभिन्न प्रथाओं , जैसे ध्यान और प्रार्थना में व्यक्त किया जा सकता है। कुछ सामान्य आध्यात्मिक प्रथाएँ हैं:
सचेतन
ध्यान
योग
नृत्य
कला या संगीत का सृजन
प्रकृति में होना
श्वास कार्य
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अध्यात्म बनाम धर्म: क्या अंतर है?
जबकि वे ओवरलैप करते हैं, फिर भी कुछ स्पष्ट तरीके हैं जिनसे धर्म और आध्यात्मिकता अलग-अलग हैं। आध्यात्मिकता और धर्म के बीच अंतर को बेहतर ढंग से समझने और तुलना करने के लिए नीचे हमारी परिभाषाएँ पढ़ें।
धर्म
यह संगठित विश्वासों और प्रथाओं का एक विशिष्ट समूह है, जिसे आम तौर पर एक समुदाय या समूह द्वारा साझा किया जाता है। धर्म में अक्सर देवी-देवताओं, परंपराओं और पवित्र ग्रंथों की स्वीकृति शामिल होती है।
आध्यात्मिकता
यह एक व्यक्तिगत अभ्यास है, और इसका संबंध शांति और उद्देश्य की भावना से है। यह बिना किसी निर्धारित आध्यात्मिक मूल्यों के जीवन के अर्थ और दूसरों के साथ संबंध के बारे में विश्वास विकसित करने की प्रक्रिया से भी संबंधित है।
संगठित बनाम मुक्त आध्यात्मिकता
आध्यात्मिकता और धर्म के बीच के रिश्ते को समझने का एक तरीका फुटबॉल के खेल की कल्पना करना है। नियम, रेफरी, अन्य खिलाड़ी और मैदान के चिह्न आपको खेल खेलते समय मार्गदर्शन करने में मदद करते हैं, ठीक उसी तरह जैसे धर्म आपको अपनी आध्यात्मिकता खोजने में मार्गदर्शन कर सकता है। मैदान पर खेले बिना या सभी नियमों और विनियमों के साथ, पार्क में गेंद को किक करना भी आपको संतुष्टि और मज़ा दे सकता है और फिर भी खेल का सार व्यक्त करता है, आध्यात्मिक जीवन जीने के समान।
आप या तो आध्यात्मिक या धार्मिक कार्य कर सकते हैं, या दोनों कार्य कर सकते हैं
आप स्वयं को धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों का मिश्रण मान सकते हैं, लेकिन धार्मिक होने से आप स्वतः ही आध्यात्मिक नहीं हो जाते, या इसके विपरीत भी नहीं हो सकता।
आध्यात्मिक जागृति क्या है और इसका आध्यात्मिकता से क्या संबंध है?
कभी-कभी आप लोगों को यह कहते हुए सुन सकते हैं कि उन्हें "आध्यात्मिक जागृति" हुई है। वे इसे एक गहन अनुभव के रूप में वर्णित कर सकते हैं जिसके बाद वे दुनिया को बिल्कुल नए तरीके से देखते हैं। आध्यात्मिक जागृति आपको अपने से बड़ी किसी चीज़, जैसे ब्रह्मांड या उच्च शक्ति से गहरा जुड़ाव महसूस करा सकती है। आप अधिक शांतिपूर्ण, सहज और दूसरों और पर्यावरण से जुड़ाव महसूस करना शुरू कर सकते हैं। जबकि उन्हें आपकी आध्यात्मिकता से गहराई से जुड़ने के संकेत के रूप में देखा जा सकता है, आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए आध्यात्मिक जागृति आपके लिए आवश्यक नहीं है।
आध्यात्मिक स्वास्थ्य क्या है?
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की तरह ही आध्यात्मिक स्वास्थ्य भी आपकी भलाई का एक महत्वपूर्ण पहलू हो सकता है, लेकिन इसे संरचित या संगठित अभ्यासों से जुड़ा होना ज़रूरी नहीं है। आध्यात्मिक स्वास्थ्य का मतलब अक्सर यह पता लगाना होता है कि आपको क्या सच में खुश और संतुष्ट करता है, चाहे वह दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना हो, दूसरों की मदद करना हो या उन चीज़ों की खोज करना हो जिनके बारे में आप भावुक हैं। अपने आध्यात्मिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने से आपको अधिक सार्थक और संतोषजनक जीवन जीने में मदद मिल सकती है।
लोग आध्यात्मिकता का अभ्यास क्यों करते हैं?
जीवन उतार-चढ़ाव, अच्छे और बुरे समय से भरा हो सकता है। बहुत से लोग आध्यात्मिकता को अपने जीवन में आराम और शांति पाने का एक बेहतरीन तरीका मानते हैं। इसे अक्सर योग जैसी चीजों के साथ अभ्यास किया जा सकता है, जो अंततः तनाव से राहत और भावनाओं को मुक्त करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
आध्यात्मिकता परिप्रेक्ष्य प्राप्त करने का एक तरीका है
आध्यात्मिकता यह मानती है कि जीवन में आपकी भूमिका आपके दैनिक कार्यों से कहीं अधिक मूल्यवान है। यह आपको भौतिक चीज़ों पर निर्भरता से मुक्त कर सकता है और आपको अपने जीवन के महान उद्देश्य को समझने में मदद कर सकता है। आध्यात्मिकता का उपयोग परिवर्तन या अनिश्चितता से निपटने के तरीके के रूप में भी किया जा सकता है ।
अब मै क्या कर सकता हूँ?
आध्यात्मिकता को व्यक्त करने के विभिन्न तरीकों के बारे में अधिक जानें ।
अपने जीवन के बारे में कुछ अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए ध्यान या माइंडफुलनेस का प्रयास करें।
विभिन्न प्रकार की आध्यात्मिकता के इतिहास और अभ्यास के बारे में पढ़ें।
इतनी शक्ति हमें देना दाता:व्यस्त जीवन में आध्यात्मिकता से जोड़ती हैं ये 5 क्रियाएं, शरीर और मन को होता है फायदा
अध्यात्म हमारे जीवन के हर पहलू में मौजूद है। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अध्यात्म हर किसी के लिए शांति पाने का एक सहारा बन गया है। अध्यात्म को कई लोग पूजा-पाठ और दान कर ही समझ पाते हैं। तो कई इसका अभ्यास न कर पाने पर इच्छाशक्ति की कमी से लेकर वक्त न मिलने का बहाना बनाते हैं। इसलिए यहां हम आपको बता रहे हैं 5 सबसे आसान और ताकतवर आध्यात्मिक क्रियाएं जिन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाकर अपना जीवन सफल बना सकती हैं।
फायदे
- आत्मशांति
- आत्मसंतुष्टि
- अंदरूनी खुशी
- परमात्मा से सीधा संपर्क
- सही-गलत पहचानने में आसानी
- तनाव से लड़ने की शक्ति
इन क्रियाओं में से अपनी इच्छा अनुसार कम से कम एक क्रिया को आदत बनाएं और खुद इसके फायदे को अनुभव करें।
1. प्रार्थना
यह एक तरह का आध्यात्मिक पुल है जो हमें सीधे परमात्मा से जोड़ता है। परमात्मा जो सभी चीजों का केंद्र है, जो सभी चीजों में और उसके माध्यम से जीवित है। रोज की एक प्रार्थना हमें प्रेम, स्नेह, जीवन, शांति, शक्ति, सुंदरता और आनंद के भावों का अहसास कराती है।
2. ध्यान
ध्यान शरीर के लिए आध्यात्मिक दवा की तरह काम करता है। दिन में केवल 15 मिनट का ध्यान दिमागी शांति के साथ सेहत के लिए फायदेमंद है। प्रकृति के करीब बैठकर ध्यान लगाने से शारीरिक और मानसिक संतुष्टि का एहसास होता है।
3. जाप
जाप ध्वनि की ऊर्जा से हमें सीधे ब्रह्मांड की अनंत शक्ति से जोड़ता है। किसी भी एक मंत्र का जाप कम से कम 5 मिनट तक करें। मंत्र न करना चाहें तो केवल ओम का उच्चारण करें।
4. आभार
आभार हमें अपने दायरे से बाहर निकलकर आसपास की अच्छाई देखने में मदद देता है। बुरी परिस्थितियों में भी जो भी थोड़ा अच्छा हुआ, उसका आभार व्यक्त करना सकारात्मक जीवन की निशानी होता है।
5. निःस्वार्थ सेवा
सेवा कार्य करना एक आसान क्रिया है, लेकिन उससे पहले हमें जीवन के कई पहलुओं से गुजरना पड़ता है। इसका महत्व कई लोग स्वयं के तो कई दूसरों के अनुभवों से जानते हैं। निःस्वार्थ सेवा कार्य जैसे वृद्धों की सेवा, भूखों को खाना देना, गरीब बच्चों को पढ़ाना आदि जैसे काम कर के हमें आंतरिक संतुष्टि, सकारात्मक जीवन और आत्मविश्वास मिलता है।
कैसे करें इन क्रियाओं का अभ्यास?
- अपनी इच्छा अनुसार एक क्रिया को चुनें।
- प्रार्थना, जप, ध्यान करने की शुरुआत 5 मिनट से करें। यदि आपको बेहतर महसूस होता है तो धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
- आभार सीखने के लिए हर उस व्यक्ति को शुक्रिया कहें जिनके कामों से आपके चेहरे पर मुस्कान आए।
- यदि हो सके तो प्रकृति के करीब जाकर अभ्यास करें।
- आध्यात्मिक किताबें पढ़ें। इससे आपके मन में बसी शंकाओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
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